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sir फॉर्म ऑनलाइन एंट्री कर रहे शिक्षको और सोये मतदाताओं से निवेदन

शिक्षकों और मतदाताओं से विनम्र निवेदन

प्रिय शिक्षक साथियों (जो फॉर्म ऑनलाइन भर रहे हैं) और उन मतदाताओं से जो फूफा बनकर बैठे हैं,

मैंने 7 तारीख से 12 तारीख तक प्राप्त 1120 फॉर्मों को फिर से एक-एक करके दोबारा वेरीफाई किया है। इनमें से लगभग 40% फॉर्म अनमैप्ड या गलत मैपिंग के कारण रिजेक्ट हो रहे हैं। यानी 2003 की वोटर लिस्ट में डिटेल मौजूद होने के बावजूद, बीएलओ की गलती या जल्दबाजी के कारण ये फॉर्म किसी दूसरे जिले में या अपने ही बूथ पर गलत क्रम संख्या पर मैप हो गए हैं।

साथ ही, तहसील में दिए गए फॉर्मों को शासन के वेतन रोकने या नौकरी से निकालने के डर और दबाव में जल्दबाजी में गलत-अधूरा भरने के कारण अब सभी फॉर्मों को फिर से एक-एक करके चेक कर फिर से भरना पड़ रहा है।

इस कड़वे अनुभव के आधार पर मैं नेक सलाह दे रहा हूं: अभी पर्याप्त समय है। आप लोग भी चाहें तो बीएलओ को सिखा दें या खुद जिम्मेदारी लेकर (जब sir में सिर मुंडवाना ही है तो) एक बार फिर से अच्छे से चेक कर लें। अगर आप भी बहाना बनाकर टाल देंगे कि "जैसे-तैसे काम चल गया, बाद में देखा जाएगा" या "जिसका सिर आएगा वो देख लेगा", तो याद रखिए – जल्द ही प्रधानी चुनाव आने वाले हैं। उस समय गलत डाटा एंट्री के कारण भारी सिर-फुटौव्वल होगी।

या जब ऊपरी अधिकारी ऐप्लीकेशन में फिर से सही वेरीफिकेशन करने को कहेंगे, तो वही काम फिर जल्दबाजी में करना पड़ेगा। इससे बेहतर है कि अभी समय है, तो एक-एक फॉर्म अच्छे से चेक करके सही एंट्री कर लें।

हमारी देरी, मैपिंग न करने या गलत मैपिंग के कारण दूसरे जिले के बूथों के मतदाताओं की मैपिंग भी गलत दिख रही होगी और वे भी अनमैप्ड रह जाएंगे। फिर वहां से भी बीएलओ का फोन आएगा कि "इसे सही करो"। इससे अच्छा है कि अभी समय है, इसे सही कर लिया जाए।

अगर बीएलओ के जिम्मे ही छोड़ना है तो इसे इग्नोर कर दें। जब उन पर दबाव बनेगा तो वो खुद देखेंगे और फिर वापस आपके पास ही आएंगे। तब आप सही कीजिएगा – ताकि आपकी छुट्टियां (जो सिर्फ कागजों, तातीलनामे और सपनों में हैं, हकीकत में नहीं) भी खराब हो जाएं।

इस धोखे में भी मत रहिएगा कि "मैंने तो खुद सब सही-सही भरा है, मेरी गलती हो ही नहीं सकती"। यकीन मानिए, 20-25% गलतियां जरूर निकलेंगी।

मतदाताओं से भी अनुरोध है कि वे खुद अपने फॉर्म बीएलओ के पास जाकर चेक कर लें, खासकर महिलाओं के केस में। अपनी माता, बहन, बहू के मायके से माता-पिता या दादा-दादी में से किसी एक का डिटेल लेकर संबंधित बूथ के बीएलओ को दे दें। इससे आपका काम समय पर हो जाएगा और बीएलओ को भी इस कार्य से मुक्ति मिलेगी। क्योंकि इसके बाद भी उनके पास इसी तरह के बहुत से अन्य कार्य जोड़े जा रहे हैं।

ध्यान दें – यह कार्य सिर्फ बीएलओ का नहीं, आपका भी उतना ही है। यह कोई बीएलओ के लड़के की शादी का कार्ड नहीं कि आप फूफा बनकर बैठे रहें। आपका दायित्व भी शासन और कर्मचारियों जितना ही है।

जिन नेताओं के बहकावे में आपने फॉर्म नहीं भरा, वे नेता अपने और अपने परिवार के फॉर्म भरवा चुके हैं। आप लोग नखरे क्यों दिखा रहे हैं?

नेताओं, उनके बीएलए और सोशल मीडिया पर सक्रिय वर्चुअल वॉरियर्स से भी अनुरोध है: जितना भ्रम आप सोशल मीडिया पर फैला चुके हैं और बीएलओ की मौत पर बेड पर लेटे-लेटे घड़ियाली आंसू बहा चुके हैं या अभी भी लगातार बहे जा रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा आसान था कि अपने परिवार, परिचितों, पड़ोसियों और अक्षम मतदाताओं के फॉर्म भरवाकर बीएलओ की मदद कर देते।

जब प्रधानी चुनाव आएगा और वोट कटा हुआ मिलेगा, तब आप ही चीखेंगे कि "वोट चोरी हो गया, वोट कट गया" और दुनिया को बताएंगे कि जितने वोट कटे, सब आपको ही देने वाले थे – भले ही एक-दूसरे को फूटी आंख न सुहाते हों।

वोटर लिस्ट में नाम खोजने के कई आसान तरीके हैं, जिन्हें मैंने अपनी वेबसाइट https://basicsamachaar.blogspot.com/ पर भी विस्तार से लिखा है। आप वहां जाकर मदद ले सकते हैं।

धन्यवाद।  
कृपया इस कार्य को गंभीरता से लें ताकि आगे परेशानी न हो।

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