यूपी बेसिक डिजिटल अवकाश तालिका-2025

समायोजन : शिक्षक नहीं, चरवाहों का बंटवारा!



यहाँ शिक्षकों का समायोजन नहीं हो रहा, बल्कि भेड़ चराने वाले चरवाहों का बाड़ा बाँटा जा रहा है।

सही नीति तो यह होनी चाहिए थी:

प्रत्येक कक्षा और विषय के अनुसार योग्य शिक्षक नियुक्त हों

नई भर्ती से रिक्तियां भरी जाएँ

बच्चों की वास्तविक जरूरत के हिसाब से शिक्षक-छात्र अनुपात तय हो


लेकिन वर्तमान में जो हो रहा है, वह मजाक से भी बदतर है:

जहाँ कम बच्चे (भेड़ें) हैं, वहाँ पूरा स्कूल (बाड़ा) बंद कर दिया जाता है।
वहाँ के शिक्षक (चरवाहे) को दूसरे स्कूल में भेज दिया जाता है।

फिर एक ही शिक्षक पर ढेर सारे काम थोप दिए जाते हैं:

बच्चों को पढ़ाना

मिड-डे मील में रसोइया बनना

स्कूल की सफाई व्यवस्था संभालना

अभिभावक बैठक, सर्वे, UDISE, निपुण भारत रिपोर्टिंग, मीना मंच, ईको क्लब

और ऊपर से हर नई योजना का अतिरिक्त बोझ


परिणाम खराब आए तो विभाग कहता है:
“भेड़ें मोटी क्यों नहीं हुईं? तुम कामचोर हो — ट्रांसफर करो, हटाओ!”

ताजा हकीकत (दिसंबर 2025 तक):

विभाग 4000 एकल शिक्षक स्कूलों में शिक्षक भेजने की बात कर रहा है

जबकि पहले ही हजारों स्कूल पेयरिंग/विलय के नाम पर बंद किए जा चुके हैं

शिक्षकों को सरप्लस घोषित कर इधर-उधर घुमाया जा रहा है

नई भर्ती की जगह पुराने शिक्षकों का ही शोषण चल रहा है

विभाग मानकर चल रहा है कि अब AI का जमाना है — बच्चे खुद पढ़ लेंगे, शिक्षक गैरजरूरी हैं


नतीजा क्या?

ग्रामीण बच्चों की शिक्षा खतरे में

शिक्षकों का मानसिक और पेशेवर शोषण

स्कूल बंद, शिक्षक अस्थिर, बच्चे बेसहारा

और जब रिजल्ट गिरेगा, दोषी फिर वही शिक्षक


सवाल विभाग से:

1.37 लाख से अधिक रिक्तियां अब तक क्यों नहीं भरी गईं?

नई शिक्षक भर्ती क्यों नहीं हो रही?

शिक्षा सुधार लक्ष्य है या केवल खर्च घटाना?


आवाज उठाओ!
शिक्षक एकता ही समाधान है।
संघ संगठित हों, मीडिया में लगातार दबाव बनाएँ।
नई भर्ती करो — दिखावा बंद करो!

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✊ शिक्षक एकता जिंदाबाद!
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